महाशिवरात्रि पर्व का महत्व
महाशिवरात्रि की पूजा पाठ और व्रत के बारे में जानकारी
हिंदू
सनातन धर्म के अंतर्गत कई प्रकार के त्योहार आते हैं| वर्ष भर में अनेक त्यौहार आते हैं | कुछ त्यौहार सप्ताह में एक बार आते हैं, जैसे सोमवार शिव जी की पूजा के लिए और मंगलवार
हनुमान जी की पूजा के लिए | कुछ
त्यौहार है जो मासिक होते हैं हर महीने और कुछ ऐसे त्योहार भरत जो साल भर में एक
बार आते हैं जैसे दीपावली, होली
और रक्षाबंधन और महाशिवरात्रि |
सनातन
धर्म के अंतर्गत महाशिवरात्रि का बहुत महत्व है | महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा अर्चना की
जाती है, और
व्रत किया जाता है |
महाशिवरात्रि |
महाशिवरात्रि का समय
महाशिवरात्रि
है जो हिंदी मास फागुन के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन मानी गई है भगवान शिव है
जो फागुन कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी की रात को पाताल लोक से बाहर आते हैं और उसी
दिन
कृष्ण पक्ष त्रयोदशी के पूरे दिन लोग उपवास करते हैं |
और शाम को रात्रि जागरण होता है | भगवान शिव का भजन करते हैं, भगवान शिव की पूजा पाठ अर्चना करते हैं, मध्य रात्रि को भगवान शिव द्वारा पाताल लोक से बाहर
निकलकर धरती लोक पर आने के बारे में शास्त्रों में वर्णन किया गया है|
और सब लोग मध्यरात्रि को पूजा अर्चना करते हुए
धूमधाम से भगवान शिव के जयकारे लगाते
हैं, और लोगों में एक अलग ही खुशी और आनंद होता है | भगवान शिव का पूरी रात दीपक जलाकर पूजा-अर्चना की
जाती है |
महाशिवरात्रि |
महाशिवरात्रि का व्रत एवं पूजन विधि
शिवजी
की पूजा है वह शाम के समय जैसे ही दिन अस्त हो जाता है, और रात्रि काल शुरू होता है,
उस
टाइम से फागुन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन शाम के टाइम शुरू हो जाती है
शिवरात्रि
के समय कर फागुन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी की पूरा दिन और उसकी पूरी रात
उपवास किया जाता है सिर्फ फलाहार का ही सेवन
किया जा सकता है
शिवरात्रि
के दिन पूजा के अंदर रुद्राभिषेक किया जाता है जिसका बहुत बड़ा सनातन धर्म में
महत्व है और हमारे शास्त्रों में भी पूर्ण तरीके से वर्णन किया गया है
शिवरात्रि
की रात्रि को भजन संध्या का आयोजन किया जाता है रात्रि में जागरण का आयोजन किया
जाता है घर के अंदर औरतें भजन गाती हैं पुरुष भजन गाते हैं भगवान शिव के और भगवान
शिव का दीपक जलाया जाता है
शिव
जी का ध्यान लगाने के लिए भक्त लोग ॐ नमः शिवाय मंत्र का उच्चारण करते हैं पूरी
रात| इसके
अलावा शिवजी की पूजा में शिव चालीसा शिव अष्टक शिव सहस्त्रनाम और कई शिव जी के
ग्रंथ वर्णित हैं उनके द्वारा पूजा अर्चना की जाती हैं |
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